असहयोग आंदोलन क्या है ? Asahyog aandolan kya hai ?
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असहयोग आन्दोलन : गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावांला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी।गांधी जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गई लेकिन फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चौरा कांड के साथ हो गया। इस हिंसक घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाई गयी। ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया।
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असहयोग आन्दोलन : गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावांला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी।गांधी जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गई लेकिन फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चौरा कांड के साथ हो गया। इस हिंसक घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाई गयी। ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया।
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असहयोग आंदोलन क्या है ? Asahyog aandolan kya hai ?
Reviewed by Pradeep kumar
on
January 04, 2019
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